भारतीय देश के प्रधानमंत्री पद के इतिहास पर नजर डाली ,जो तथ्य सामने आया सभी के सामने रखने की कोशिश कर रहा हूँ..ये कलयुग है और सतयुग हुआ करता था जब राम भगवन सत्ताधारी बने थे तो उसे रामराज कहा जाता था.या यूँ कहे की राम राज कहा जाता है जी हाँ दोस्तों इसे कायनात का करिश्मा कहे या और कुछ की आज भी देश के प्रधानमंत्री पद को राम राज की पदवी से नवाजा जाता है ..ऐसा मुझे लगता है ..आगे आप अपने विचार रख सकते है !!मैन ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यों की जब देश का प्रथम प्रधानमंत्री हुआ तो उसके नाम में ''र'' या ''म'' शब्द आता था इसके बाद जब भी कोई प्रधानमंत्री बना तो उसके नाम में ''र'' या ''म''जरुर आता था या फिर भगवन की मर्ज़ी कहे बह उसे ही मौका देता था जिसके नाम में ''र'' या ''म'' हो क्यों की ''र'' या ''म'' से आज भी राम राज की उम्मीद की जाती है ...इस अजूबा को एक अपबाद मिला विश्ब प्रताप सिंह के रूप में लेकिन इसे कुदरत का करिश्मा ही कहे की बह केवल कुछ महीने की कुर्सी संभल सके..इसके बाद एक बार और कायनात को चुनोती दी जा रही थी सोनिया गाँधी के रूप में लेकिन एक बार फिर कुदरत को कुछ और मंजूर था ..और गद्दी महमोहन सिंह को मिल गयी बजह चाहे जो भी रही हो..सोनिया गाँधी सत्ता में आकर भी प्रधानमंत्री नहीं बन पायी...इस बात को बहुत कम लोग मानेगे जो मैं कह रहा हूँ लेकिन भगवन पर यंकी करने वाले जरुर मानेगे!चुनाव सिर पर भाजपा ख़ास तैयारी भी कर रही है और मुझे लगता है की बह सत्ता में आ भी जायेगी लेकिन जो भाजपा लालकृष्ण आडवानी जी के नेताव्व में चुनाव लड़ रही और जीतने पर लालकृष्ण आडवानी को गद्दी पर बिठाने का सपना देख रही है बह मुझे तो गलत लग रहा है क्यों की यदि कायनात ने एक बार फिर अपना करिश्मा दिखाया तो गद्दी लालकृष्ण आडवानी जी की नहीं हो सकती क्यों की रामराज का एक भी शब्द ''र'' या ''म'' उनके नाम में नहीं है इसका सीधा मतलब यही है की प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार नरेन्द्र मोदी हो सकता है जिसके पास अनुभव है ,छमता है और सबसे बड़ी बड़ी चीज़ रामराज के ''र'' या ''म'' है ..मेरा दिल तो यही कह रहा है की कायनात कुर्सी और नरेन्द्र मोदी को मिलाएँगे लेकिन आपका दिल क्या कह रहा है ..क्या मेरी ये युक्ति कारगर है
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
हां यह बिलकुल संभव है क्योंकि जिस तरह से अभी माहोल बना है उससे तो यही लगता है की लाल कृष्ण आडवानी जी का पत्ता कटने वाला है !!इतने गहन चिंतन के लिए बधाई !!
ReplyDeletebahut accha lekh!!
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