Skip to main content

कांग्रेस का गुण्डा'राज'


कांग्रेस का गुण्डा'राज'
आगजनी, तोड़फोड़, करोड़ों का नुकसान, उत्तरभारतीयों की सरेआम पिटाई फिर भी धारा १४४ के बीच कल्याण की अदालत राज ठाकरे को जमानत दे देती है. एक दूसरी कोर्ट पहले ही अग्रिम जमानत दे चुकी है. उत्तर भारतीयों की तर्ज पर पान खानेवाले आरआर पाटिल फिर भी कह रहे हैं कि उनका कानून मंत्रालय अध्ययन में मशगूल है. मुख्यमंत्री बिलासराव कह रहे हैं कि वे विक्रोली कोर्ट की अग्रिम जमानत को खारिज करने के लिए सरकार की ओर से अर्जी देंगे. कब? पता नहीं.
मुंबई के स्थानीय "मी मुंबईकर" मान रहे हैं कि उनके लिए दूसरी बार 'असली मर्द' पैदा हो गया है जो संभवतः भैया लोगों के प्रकोप से मुंबई को मुक्त करा देगा. असली मर्द की परिभाषा लिखते समय मराठी बुद्धिजीवी यह बताना नहीं भूलते कि "बाल ठाकरे का खून इसी की रगों में है." इसे आप अवैध संतान की मानसिकता से मत जोड़िये. इसे उत्तराधिकार मानिए. उद्धव "ठंडा खून" है. उबाल ही नहीं लेता. राज को देखो, गरम खून है. दहाड़े मारकर, ताल ठोंककर और ललकार कर कैसे भैया लोगों को पीटकर भगा रहा है. मराठी मध्यवर्ग के अधिकांश 'समझदार' लोग अनौपचारिक रूप से यही मानते हैं. जाणता राजा शिवाजी महाराज का हिन्दू पदपादशाही का सिद्धांत अचानक पीने के पानी, रहने की जगह, पान खानेवाले भैया जैसी सामान्य समझ और जरूरतों के आगे हार गया है. मेरी नौकरी तुम कैसे ले सकते हो? बड़ा ही सामान्य सा सवाल है. लेकिन जवाब में जो कुछ किया जा रहा है वह हिन्दू राष्ट्र की कल्पना को महाराष्ट्र ही नहीं, मुंबई की कुछ सड़कों तक समेट दिया गया है. लेकिन अफवाहें कुछ और भी उड़ रही हैं. मुंबई की सड़कों पर जो लोग तोड़-फोड़ कर रहे हैं वे कौन लोग हैं? चौंकिये मत. उनमें से अधिकांश तो हिन्दू भी नहीं है. उनकी कोई मराठी अस्मिता नहीं है. वे मुंबई के टपोरी लोग हैं. पैसा लेता है, दंगा करता है. बस का शीशा तोड़ता है और भैया लोगों को पीटकर चला जाता है. काम हो गया, पैसा मिल गया. भाड़ में जाए तुम्हारी मुंबई और तुम दोनों. अगर ये लड़के पंटर लोग हैं तो इन्हें पैसा कौन दे रहा है?
कुछ अंदरखाने की खबर है. मुंबई के असली दादा (गुण्डोवाले दादा नहीं) का यह बड़ा सुनियोजित राजनीतिक दांव है. राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि वे शिवसेना को उसके ही "खून" से खत्म करना चाहते हैं. नारायण राणे भी लोगों को याद ही होंगे. बालासाहेब के सबसे प्रिय पात्रों में से एक. वे शिवसेना छोड़कर चले गये. उम्मीद थी कि कोंकण में वे शिवसेना की रीढ़ तोड़ देंगे. अब कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में उनकी अपनी ही रीढ़ टूट गयी है. दिल्ली आये थे. मैडम से मिले भी लेकिन कोई हल नहीं निकला. ऐसे में राज ठाकरे बेहतर दांव साबित हुए हैं. राज ठाकरे का महाराष्ट्र तो छोड़िये मुंबई में ही कोई राजनीतिक वजूद नहीं है. अगर आप दूर बैठे टीवी देख रहे हों तो उन झण्डों को गैर से देखिएगा जो हर उपद्रव के दौरान एक-दो फहरा दिये जाते हैं. वे मार्कीन के बने होते हैं. यानी उन्हें तुरत-फुरत में तैयार किया जाता है. संकेत यह है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का झंडों के पीछे कोई वजूद नहीं है. जो राजनीतिक कार्यकर्ता होंगे वे इस तर्क को ज्यादा बेहतर समझ सकते हैं. फिर अचानक ही सौ-दो सौ लोगों के उत्पात को मीडिया का अच्छा कवरेज मिल जाता है. देश वह देखता है जो मीडिया दिखाना चाहता है. देश वह कभी नहीं देख पाता जो उसे जान लेना चाहिए. जैसे राज ठाकरे रत्नागिरी गये तो उन्हें पांचसितारा सुविधाएं मुहैया करायी गयीं, और उनके कमरे के साथ दस और कमरे बुक कर दिये गये ताकि उनके समर्थकों को कोई असुविधा न हो. साफ है, महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी सरकार राज ठाकरे का बहुत ख्याल रखती है.
महाराष्ट्र के कांग्रेसी और एनसीपी राज का इतना खयाल अनायास तो नहीं रख सकते. राजनीति है, अपनी-अपनी मजबूरियां हैं सबकी. मुंबई और आस-पास कोई २५-३० लाख उत्तर भारतीय मतदाता हो गये हैं. राज पर दांव लगाने से दोहरा लाभ होता है. पहला, शिवसेना के परंपरागत मराठी मतदाता ठण्डे खून से आजिज आकर गरम खून की ओर आकर्षित होंगे. शिवसेना जितनी कमजोर होगी कांग्रेस-एनसीपी को उतना ही फायदा होगा. दूसरा कारण, उत्तर भारतीय असुरक्षित महसूस करेंगे तो वे कांग्रेस की ओर अपना रूख करेंगे. मुंबई में भाजपा के मजबूत है, जाहिर है इस कदम से भाजपा कमजोर होगी. वैसे भी कांग्रेस का राजनीतिक कौशल भाजपा के आदर्शवाद से ज्यादा व्यावहारिक है. यह कांग्रेस ही है जिसने एक "भैया" कृपाशंकर सिंह को इतना महत्व दे रखा है कि वे महाराष्ट्र में मुख्यधारा के नेता हो गये हैं, जबकि दूसरी ओर भाजपा के एकाध विधायक रहे भैया लोगों को महाराष्ट्र तो छोड़िये मुंबई में ही लोग नहीं जानते. लेकिन यह भी हो सकता है कि अगर उत्तर भारतीयों को यह बात समझ में आ गयी तो मुसलमानों के बाद उत्तरभारतीय मतदाता भी कांग्रेस के पाले से बाहर चला जाएगा. वैसे भी यह बात ज्यादा दिन छिप नहीं पायेगी.
तथाकथित मीडिया से ताकतवर एक मौखिक मीडिया भी होती है जहां खबरें अफवाहों के रूप में तैरती हैं. इन अफवाहों में सच्चाई हो न हो उन्हें किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती, और वे अफवाहें अपना असर भी दिखाती हैं. मुंबई के लोग खुलेआम यह बात बोल रहे हैं कि कांग्रेस का हाथ राज के साथ है. बहरहाल राज ठाकरे कांग्रेस प्रायोजित इन प्रहसनों में सबसे ज्यादा फायदे में हैं. बड़े भाई से नाराज होकर चाचा के खेमे से बाहर निकल आये थे. पार्टी भी बना ली थी लेकिन एक कारपोरेटर जिताने की भी हैसियत नहीं थी. फरवरी से जारी हिंसा और कांग्रेसी राजनीति के कारण अब यहां 'मनसे' का ठप्पा जगह-जगह दिखने लगा है. लोग जय महाराष्ट्र की तर्ज पर मराठी माणुस लिखने लगे हैं. साफ है, राज का ब्राण्ड अब उन्हें मराठी होने का भान करा रहा है. शिवसेना के जिन दो विद्रोहियों को कांग्रेस अपना तीर बना रही है उनके पास अकूत धन-संपदा है. वे लंबे समय तक पैसे से गुंडई का खेल खेल सकते हैं. राणे बाल ठाकरे को पुत्रमोही करार देते हैं और खुद अपने बेटे को रत्नागिरी से टिकट दिलवाना चाहते हैं. यही हाल राज का है. जिस गैर-कांग्रेसवाद के बल पर शिवसेना महाराष्ट्र में खड़ी हुई उसी के उत्तराधिकारी बनने के चक्कर में वे कांग्रेस की छत्रछाया में चले गये हैं. वैसे भी कांग्रेस का राजनीतिक इतिहास है, वह भस्मासुर पैदा करने में माहिर रही है. उसने समय-समय पर ऐसे भस्मासुर पैदा किये हैं जिन्होंने न केवल कांग्रेस को गच्चा दिया बल्कि देश की एकता-अखंडता के लिए भी खतरा बने हैं. गिनती शुरू करना हो तो शेख अब्दुल्ला से राज ठाकरे तक की लंबी श्रृंखला में नामों को जोड़ लीजिए.

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally