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ब्लोगिस्तान की दुनिया के चीफ मार्शल को सभी का सलाम , ब्लॉग ४ वार्ता की पोस्ट पूरी

नेह्सरी जल की बदरी हूँ
किसी पथिक की प्यास बुझाने
कुए पर बंधी गगरी हूँ
मीत मनाने जग में आया
मानवता का सजग प्रहरी हूँ
हर द्वार खुला जिसके घरका
सब का स्वागत करती नगरी हूँ .......................... । ललित शर्मा ब्लॉग ४ वार्ता और इंटरनेट पर चले रहें सभी ब्लोगों के पथ प्रदर्शक,मार्गदर्शक,सहयोगी,मददगार की श्रेणी में प्रथम और सर्वश्रेष्ठ हें , भाई ललित जी के कई दर्जन ब्लॉग हें और हर ब्लॉग में गुणवत्ता ही गुणवत्ता हे हर ब्लॉग में रचनात्मक जानकारी ,सीख का एक दर्शन , प्यार का एक संदेश , अपनेपन का एक एहसास हे हर कोई समझता हे के भाई ललित जी उनके अपने हें और समझें भी क्यूँ नहीं हर दुःख दर्द तकलीफ में भाई ललित जी ही हें जो सभी के सहयोगी , सखा बन कर साथ खड़े मिलते हें ब्लॉग लेखन की दुनिया में शायद बही ललित जी ऐसे ब्लोगर हें जो इस लेखन के साथ साथ देश के सबसे बढ़े मुसाफिर हें और एक यायावर होने की वजह से भाई ललित जी के लियें अगर कहा जाए के इन्होने घाट घाट का का अपनी पिया हे तो कम नहीं होगा इस जानकारी की झलक इनके हर ब्लॉग हर लेखन हर अदा में मिलती हे ।
भाई ललित जी दिखने में देश के मिलेट्री के अधिकारी लगते हें लेकिन ब्लॉग की दुनिया के लियें यह एक सुरक्षा कवच हें शिक्ष्ण संस्थाएं खोलना और शिक्षा देना इनका शोक हे और इसी लियें इनकी भूमिका शिक्षक की ही रहती हे भाई ललित जी के स्कुल हे शिक्ष्ण संस्थाएं हें और वहां हजारों हजार छोटे छोटे बच्चे उनके दीदार को तरसते रथे हें इसी तरह से ब्लॉग की दुनिया के भी वोह शिक्षक हें अलग अलग ब्लोगरों से जब भी भाई लालती जी के बारे में चर्चा हुई तो उनके मुंह से भाई ललित जी के लियें बस एक ही शब्द निकला भाई ललित जी ने मेरा ब्लॉग ठीक किया मुझे नेट पर ब्लॉग लेखन ब्लॉग सजाना सिखाया मुझे फोन पर सुझाव देकर मेरा ब्लॉग ठीक करवाया बस इसी तरह के लोग बलों की दुनिया में मुझ सहित करीब ५०० से भी अधिक हे जो उनकी मदद के शुक्र गुजार हें ।
अभी कुछ दिनों पूर्व भाई ललित जी का कोटा आगमन हुआ था यहाँ घंटों में सदियों का प्यार बाँट कर ललित जी गये थे और बस अब कोटा में उनकी खुशबु उनकी सुगंध बिखरी पढ़ी हे ।
दुसरे रचनात्मक ब्लोगों के साथ ब्लॉग की दुनिया को छटनी कर एक दुसरे तक पहुँचने के लियें भाई लालित जी अपने ब्लॉग ब्लॉग ४ वार्ता के जरिये करते रहे हें आज उनकी पांच सो वीं पोस्ट लिखी गयी हे इस पांच सो वीं पोस्ट के लियें भाई ललित जी को बधाई और हाँ यह ब्लॉग ४ वार्ता होली के महीने में ही १० मार्च को शुरू किया गया था और होली के महीने में ही पांच सो वीं पोस्ट पूरी हुई हे भाई मेरी शादी भी दस मार्च को ही हुई थी इसलियें ब्लॉग ४ वार्ता का स्थापना दिवस में भूल नहीं सकता ।
भाई ललित जी ने अपने परिचय की शुरुआत जिन अल्फाजों में शुरू की हे इनकी प्रोफाइल में जो मस्ती हे जो अपनापन हे जो मेल मिलाप का रिश्ता हे उससे साफ़ लगता हे के भाई लालती जी बच्चों के साथ बच्चे अल्हड के साथ अल्हड और बुर्दुबार के साथ बुर्दुबार हें उनका परिचय खुद उनके अल्फाजों में उन्होंने सब पथिकों की प्यास बुझाने वाली गगरी के रूप में और खुद के द्वार सभी के लियें खुले होने का शब्दों से दिया हे और यह शत प्रतिशत सही भी हे इसलियें दोस्तों हम तो भाई ललित शर्मा जी जेसा बढा भाई मार्गदर्शक पाकर धन्य हो गये हें मेरा निवेदन हे के ब्लॉग की प्रतिस्पर्धा अगर कोई हो तो उसे त्याग कर मुक्त कंठ से ब्लॉग ४ वार्ता की ५०० पोस्ट पूरी होने पर उन्हें बधाई देकर इस खुसी में शामिल हों वेसे होली की रंगीनियत के माहोल में यह वार्ता शुरू हुई थी इसी लियें भाई ललित जी जो सभी रंगों में दुबे हें उनका रंगीन सुंदर चित्र दिया गया हे वेसे तो उनकी तारीफ़ करना उनके बारे में सच कहना भी सूरज को रौशनी दिखने के समान हे लेकिन में नादाँ हूँ गुस्ताख हूँ इसलियें यह गुस्ताखियाँ करता रहता हूँ करता रहूंगा और इसी के साथ ब्लोगिस्तान की इस दुनिया के चीफ मार्शल मेजर जनरल सजग सिपाही सजग प्रहरी मार्ग दर्शक भाई ललित जी शर्मा को प्रणाम सलाम .... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...