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hidustan ka dard

बंटवारा बहुत बुरा होता है और ये वही जानते हैं जिन्होंने इसे झेला हो .एक घर का बंटवारा आदमी नहीं झेल पता फिर देश का बंटवारा झेलना तो सहनशक्ति के बाहर की बात है.हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों एक ही मिटटी की उपज हैं और ऐसे में जब इनके आपसी मसले सुलझाने के लिए बाहरी मदद ली जाती है तो दोनों तरफ की जनता रो पड़ती है साथ ही जब भाई भाई का दुश्मन होकर खून खराबे पर उतर आता है तो जनता खून के आंसू बहाती है  .भारत ने हमेशा पाकिस्तान के साथ नरमी का बर्ताव किया है .युद्ध के जवाब में युद्ध किये हैं कभी खुद कोई युद्ध नहीं किया और आज भी भारत इसी नीति पर कायम है ऐसे में पाकिस्तान को भी आपसी मसले निबटाने के लिए खून खराबे की नीति को छोड़ कर आपसी सामंजस्य की नीति को अपनाना चाहिए.
सभी कहते हैं कि इस दुनिया में सब अकेले आयें हैं अकेले ही चले जायेंगे .ना कोई कुछ लेकर आया है ना कोई कुछ लेकर जायगा फिर दोनों देशों के राजनेता इन उक्तियों पर विश्वास क्यों नहीं करते .आखिर जब सब यहीं रह जाना है तो फिर किसी जगह के लिए लड़ने का क्या मतलब है.जो जगह जहाँ से जुडी है उसे वहीँ जुडी रहने दें और शांतिपूर्वक विकास के पथ पर अग्रसर हों .
भारत ने आज तक शांति पथ का अनुसरण करते हुए बहुत दर्द झेला है और तब भी भारत की यही कोशिश है कि आपसी मसले शांति वार्ता से निबट जाये किन्तु दर्द तो यही है कि ये बात भारत अर्थात  हिंदुस्तान के भाई की समझ में नहीं आती एक शायर  इसी दर्द को बयां करते हुए कहते हैं--
"ये हमारे ज़र्फ़ कि बात है कि हर सितम को भुला दिया,
रहे हम तो खाक नशीं मगर तुम्हे आसमा बना दिया,
मैने कहा था बागवान मुझे रोशनी की तलाश है,
लेकिन उसने जवाब में मेरा ही आशियाँ जला दिया.

Comments

  1. क्या करेगा प्यार वो ईमान को ,
    क्या करेगा प्यार वो भगवान को !
    जन्म लेकर गोद मै इन्सान की ,
    कर न पाया प्यार जो इन्सान को !

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  2. bahut hi khubsurat baat kahi aapne dost .

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...