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क्रिसमस पर मुबारकबाद

दोस्तों आज
क्रिसमस हे
इस दिन
बच्चों का दिन
माना जाता हे
बच्चे मोज़े में
अपनी ख्वाहिशों को रख कर
सरहाने रख लेते हें
सुकून की नींद सोते हें
सुबह जब वोह उठते हें
तो उनके मां बाप
उनकी ख्वाहिशों को
साकार करते हें
और बच्चों को यह विश्वास दिलाते हें के
सांता क्रूज़ आया और उसने
इशु की मदद से यह ख्वाहिशें पूरी की हें
बच्चों का धर्म के प्रति मान सम्मान बढ़ता हे
वोह फिर अगले साल क्रिसमस का इन्तिज़ार करते हें
वेसे यह दिन क्रिश्चियन धर्म की शुरुआत का दिन हे
इनके अवतार के अवतरित होने का दिन हे
इसलियें क्रिश्चियन इस दिन
चर्चों को सजाते हें संवारते हें और फिर प्रार्थनाएं करते हें
इसलियें इस धर्मनिरपेक्ष देश में
क्रिसमस पर सभी भाइयों और खासकर
क्रिश्चियन भाइयों को
मेरी हो से मेरे ब्लोगर फोलोअर्स की ओर से
मेरे ब्लोगर भाई दिनेश राय द्विवेदी और ब्लॉग गुरु ललित शर्मा की ओर से
क्रिसमस की बधाई मुबारक बाद
मेरे हिन्दू भाइयों की तरफ से सलाम
मुस्लिम भाइयों की ओर से जय श्रीराम
सिक्ख भाइयों की तरफ से गोड ब्लेस यु
क्रिश्चियन भाइयों की तरफ से सत सीरी अकाल जो बोले सो निहाल ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...