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अनजाना शख्श


हमने तो कभी जाना ही न था
                         खुद को  इतने करीब से !
उसकी पारखी नजरो ने  न जाने
                        केसा ये कमाल कर दिया  !
हमने तो अभी अपनी ज़मी
                       मै न पहचान बनाई थी !
उसने तो हमारी गिनती
                     तारो मै लाकर ही कर दी !
वक़्त जेसे -जेसे अपनी
                  आग़ोश मै भरता चला गया !
हमारी पहचान  मै  और वो ............
                  इजाफा करता चला गया !
कितना प्यारा था वो शख्श
                जो हमे इतना प्यार करता था !
हमे खबर भी  न हुई
                 और वो दिल मै उतरता चला गया !
कितने प्यारे बन गये थे
                ये रिश्ते बिना किसी चाहत के !
और हम एक दुसरे  को
                   सम्मान देते ही चले गये !
न जाने ये दोस्ती का सफ़र
                 कब तलक  यु ही चलेगा !
न जाने कब वो  हमे तारो से ............
            फिर  सूरज की रौशनी कहेगा ?

Comments

  1. intjar aapki kismat men likha rachna achhi lagi

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  2. न जाने ये दोस्ती का सफ़र
    कब तक चलेगा यूं ही।
    अच्छी अभिव्यक्ति। बधाई।

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुन्दर भावमयी प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  4. शुक्रिया दोस्तों !

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...