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लो क सं घ र्ष !: तोरे पाकिस्तान का का हाल है ?


"काहे भइया , तोरे पकिस्तान का का हाल है ?"
"वह तो बन रहा है ।"
" काहे न बनिहे , भैय्या , तूँ कहि रइयो तो जरूर बनिये। बाकी ई गंगौली पकिस्तान में जा रहे कि हिंदुस्तान में रइहे ?"
"ई तो हिन्दुस्तान में रहेगी । पकिस्तान में तो सूबा सरहद , पंजाब , सिंध और बंगाल होगा ; और कोशिश कर रहे हम लोग की मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी पकिस्तान में हो जाए ।"

" गंगौली के वास्ते ना न करियो कोशिश ?"
"गंगौली का क्या सवाल है ?"
"सवाल न है त हम्में पकिस्तान बनने या न बनने से का ?"
" एक इस्लामी हुकूमत बन जाएगी ।"
" कहीं इस्लामू है कि हुकुमतै बन जहिए । ऐ भाई, बाप-दादा की कबर हियाँ है, चौक इमामबाडा हियाँ है , खेती-बाडी हियाँ है । हम कौनो बुरबक है की तोरे पकिस्तान जिंदाबाद में फंस जाएँ ।"

" अंग्रेजो के जाने के बाद यहाँ हिन्दुओं का राज होगा ।"
" हाँ-हाँ , त हुए बा । तू त ऐसा हिंदू कही रहियो जैसे हिन्दुवा सब भुआऊँ है कि काट लीहयन । अरे, ठाकुर कुंवरपाल सिंह त हिन्दुवे रहे। झिंगुरिया हिंदू है। ऐ भाई, ओ परसरमुआ हिंदुए न है की जब शहर में सुन्नी लोग हरमजदगी कीहन कि हम हजरत अली का ताबूत न उठे देंगे , कहो को कि ऊ में शिआ लोग तबर्रा पढ़त है त परसरमुआ उधम मचा दीहन कि ई ताबूत उट्ठी और ऊ ताबूत उठा । तोरे जिन्ना साहब हमारा ताबूत उठवाये न आए !"

डॉक्टर राही मासूम रजा के 'आधा गाँव' से

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...