पूरे देश के चुनाव परिणाम घोषित ओ गए है और एक दो दिन में नई सरकार का गठन भी हो जाएगा..!लेकिन यहाँ एक सवाल उठता है की ये सरकार क्या सब जनता का .प्रतिनिधितव करती है..?क्यूंकि एक मामूली सी बैठक के लिए भी कोरम पूरा होना जरूरी होता है!जबकि यहाँ तो आधे लोगों ने तो वोट ही नहीं दिया..!जो भी सांसद जो आधे से भी कम लोगों की .पसंद..हो,वो क्या हमारा नेता हो सकता है?ये बात विचार करने योग्य है की कैसे वो सांसद .सब लोगों की पसंद बन .पायेगा..जब उसे .२० परतिशत...मत मिले हो?निश्चित तौर पर ये हमारी ...व्यवस्था....की खामी है जिस पर ध्यान देना आवयश्क है....आज यह समय की मांग है की या तो मतदान अनिवार्य करें या फ़िर जीतने के लिए कम से कम ३६ प्रतिशत वोट प्राप्ति की अनिवार्यतया लागू करें?जब एक विद्यार्थी ३६ प्रतिशत से कम अंक लाने पर फ़ैल हो जाता है तो फ़िर नेता २० प्रतिशत अंक लाकर भी कैसे पास हो जाता है ?एक सुझाव ये भी है की मतदान करने वालों को प्रोत्साहित किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग मतदान में भाग ले..!करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यदि सरकार ४० से ५० प्रतिशत .मतदान करवा पाये तो उसमे भी जीतने वाले को कितने प्रतिशत मिले?ये आप भी सोचिये...!
khisayani billi khamba noche
ReplyDeleteहां, बहुत ही कडुवा सच है यह , अपने मतलव के लिये लोग मानना ही नहीं चाहते । वस्तव मैं तो यही होना चाहिये । मेरे विचार से तो ५०% वोट अनिवार्य होने चाहिये। सही है जब ,अब तो ५०% अन्क लाने पर ही पास होते हैं क्षात्र (प्रोफ़. परीक्षाओं में) तो देश चलाने के लिये इतना % तो अनिवार्य होनाही चाहिये.। वैसे भी आइ ए एस के लिये इतना कठिन परीक्षा ,नेता ,पी एम ,मन्त्री के लिये कोई योग्य्ता परीक्षा नहीं। बडी ना इन्साफ़ी है॥
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