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विकल्पहीन नही है दुनिया

पप्पू यादव ऊपर लिखे गए पोस्ट पर जी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि "क्या इनका कोई विकल्प नही है ?" पेश है इसका जवाब --------

कपिला जी निराशा की नही बल्कि जाग्रति की बेला है । किशन पटनायक की एक किताब पढ़ी थी पिछले दिनों "विकल्प हीननही हैं दुनिया "। वाकई ये दुनिया विकल्पों से परिपूर्ण है । पर , इस मामले मैं प्रथमदृष्टया कोई विकल्प नही दिखता । हम अक्सर सत्ता परिवर्तन को विकल्प मानने की भूल करते हैं जो जे.प आन्दोलन में भी हुआ । आज व्यवस्था परिवर्तन की जरुरत है ............. लोग प्रयास रत है । यह कम वैसे भी एक दिन में संभव नही है । किसी भी बदलाव के पीछे लम्बी पृष्ठभूमि तैयार करनी पड़ती है । कुछ अच्छे लोग सक्रीय राजनीति में आयें और बांकी अपने अपने जगहों से भागीदारी निभाए सारी समस्या धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती । जरा गौर से देखें तो यह सब भी एक दिन में बैठे-बिठाये नही हुआ है । भ्रस्ताचार व अपराधीकरण का दीमक वर्षो में जाकर इस लोकतंत्र को खोखला करने में सफल हो पाया है । उसी प्रकार समय के हिसाब से सब ठीक होगा . आज देश एक नए लोकतान्त्रिक जागरण की मांग कर रहा है । हम में से कुछ लोगो को इस आन्दोलन की नीव बनना पड़ेगा जिसके लिए हमें अपने सोये साथियों को जगाने का जिम्मा उठाना है । मैंने तो शुरुआत कर दी है आप भी आगे आयें । हम होंगे कामयाब ,हम होंगे कामयाब ।एक दिन हो हो मन में हैं विश्वास .................................

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...