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आँखों का इशारा..

आँखों का इशारा करके जब॥
इंसान समाता है उसमे॥
मिल जाते दोने एक लय में॥
हर्षित होता प्यारा मन॥
फिर रूप निखारने लगता है॥
कलियाँ फूल बन जाती है॥
अपने प्यारे उपवन में फिर॥
खिशिया मंगल गाती है॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा