उत्तर प्रदेश में सरकारी, सहकारी चीनी मिलें धीरे-धीरे बंद हो गई है । एन.डी.ए सरकार में उदारीकरण और निजीकरण का जो दौर चला जिसके चलते सार्वजानिक क्षेत्र को बीमार घोषित कर समाप्त करने का कार्यक्रम शुरू हुआ । एन.डी.ए सरकार के मंत्रिमंडल में सार्वजानिक क्षेत्र को समाप्त करने के लिए विनिवेश मंत्री भी नियुक्त किया गया था । उदारीकरण और निजीकरण की नीतियों के कारण प्रदेश की अधिकांश चीनी मिलें बंद कर दी गई । अधिकांश चीनी मिलें निजी क्षेत्र की है और कुछ चीनी मीलों के मालिकान प्रसिद्ध प्रिंट मीडिया के समूहों के मालिकान है । प्रिंट मीडिया समूहों के समाचारपत्र उपदेश देने की भूमिका में रहते है और सरकार की नीतियों को प्रभावित भी करते है । बड़े-बड़े घोटालो का पर्दाफाश भी करते रहते है । चुनाव के समय खुलकर किसी न किसी दल की तरफ़ से हिस्सा भी लेते है किंतु जब इन मीडिया समूहों के मालिकान चीनी मीलों के मालिकान की भूमिका में होते है तो गन्ना किसानो का रुपया कई-कई साल तक नही देते है और इनके कांटें घटतौली करते है । एक गाड़ी में अगर गन्ना 20 कुंतल है तो इनका कांता तौलकर 15 कुंतल ह