सभी मित्रों को नव विक्रम संवत २०६६ की हार्दिक शुभ-कामनायें नव विक्रम संवत शुभमय मधुमय मंगलमय हो,निज हृदय कामना करता हूँ। नव-विक्रम संवत का पल-पल,मैं तुम्हें समर्पित करता हूँ। निज ज्योति से दीप जलाते रहो,कुरुचि में सुरुचि जगाते रहो। इस संवत की भी पुकार यही,तुम ज्ञान की गंगा बहाते रहो। कुरुचि मिटे हर मन की,सुरुचि जगे जन-जन की। पूरी हो अभिलाश हमारी, आत्म-तृप्ति हो तन-मन की। मधु, स्नेह, दया, उदारता,हृदय बस जाये समरसता। नव सौभाग्य आदित्य उदित हो,नव संवत सबको मित्र मुदित हो। नव संवत हो मंगलमय नव संवत मंगलमय, हर दिन खुशहाली लाए। तन-मन रहे प्रफुल्लित ,समृद्धि परिवार में आए। उर हो शुभ -भावों से पूरित,मन-मयूर तुम्हारा नाँचे, हरे-भरे आँगन में तुमरे, सौन-चिरैय्या गीत सुनाए। नव संवत शुभ हो 2066 से हमें आस, आतंक का प्रसार रूके। विवके हो जाग्रत सभी का, नहीं आनन्द प्रचार रूके। संकीर्णताएँ मिटें सभी, बन्धुत्व न झुके कभी, चहुँ ओर हो विजय, सत्य न कभी झुके। शुभ हो आपको परिवार, राष्ट्र , विश्व को। नव-संवत का हर पल, शुभ हो गुरू शिष्य को। कथनी-करनी एक हो, मार्ग हमारा नेक हो, उर-बुद्धि हों सन्तुलित, पायें