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Showing posts from September 10, 2009

काटी है राते..

ओ सूनी सूनी राते ओ पहली मुलाकाते॥ तुम्हे याद होगी ओ प्यारी प्यारी बातें........................... कभी तेरी आँखों की तारीफ़ करता॥ कभी तेरे होठो पे मुस्कान भरता॥ तुम चुप चाप रहती करता मै बातें..................... कभी तेरी चुनरी का पल्लू पकड़ता॥ कभी रात तेरे संग संग चलता॥ तुम पूछ लेती थी छोटी छोटी बातें॥ कभी रूठती तुम मनाया मै करता कभी तेरे हुस्नो की तारीफ करता॥ हमने तेरी यादो में काटी है राते..

एक बार मेरा कहा मान लीजिये॥

जाते जाते जाते मुलाक़ात कीजिये॥ आखिरी बार मुझको आदाब कीजिये॥ हम जिए तो जिए बस तुम्हारे लिए॥ ये दरख्वास दिल में लिख लीजिये॥ हमने पैगाम भेजा तुमने वापस किया॥ मेरे दिल की आवाज सुन लीजिये॥ तुमने मुझको बुलाया मई दौडा चला आया॥ मेरे प्रशनो का कुछ तो जबाब दीजिये॥ हमने दिल में बसाया तु़मने दिल से हटाया॥ बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये॥

आशा...

बैठे है उनकी राह में ॥ दिल का दिया जलाए॥ शायद ओ चलते जाए॥ शायद ओ वापस आए॥ सारे चमन के फ्हूल को॥ राहो में सजा दिया है॥ सारे जहा की मोतियोंका ॥ मंडप बना दिया है॥ शायद इन्हे ओ देख कर॥ मन ही मन मुस्कुराए॥ चुन चुन के व्यंजनों का॥ पकवान जो बनायी हूँ॥ सोने की थाली में ॥ जेवना जो सजायी हूँ॥ शायद इन्हे वे देख कर॥ एक बार लौट आए॥

महाशोक: डॉ चित्रा चतुर्वेदी 'कार्तिका' नहीं रहीं

Acharya Sanjiv Salil http://divyanarmada.blogspot.com महाशोक: डॉ चित्रा चतुर्वेदी 'कार्तिका' नहीं रहीं संस्कारधानी जबलपुर, ८ सितंबर २००९, बुधवार. सनातन सलिल नर्मदा तीर पर स्थित महर्षि जाबाली, महर्षि महेश योगी और महर्षि रजनीश की तपस्थली संस्कारधानी जबलपुर में आज सूर्य नहीं उगा, चारों ओर घनघोर घटायें छाई हैं. आसमान से बरस रही जलधाराएँ थमने का नाम ही नहीं ले रहीं. जबलपुर ही नहीं पूरे मध्य प्रदेश में वर्षा की कमी के कारण अकाल की सम्भावना को देखते हुए लगातार ४८ घंटों से हो रही इस जलवृष्टि को हर आम और खास वरदान की तरह ले रहा है. यहाँ तक की २४ घंटों से अपने उड़नखटोले से उपचुनाव की सभाओं को संबोधित करने के लिए आसमान खुलने की राह देखते रहे और अंततः सड़क मार्ग से राज्य राजधानी जाने के लिए विवश मुख्यमंत्री और राष्ट्र राजधानी जाने के लिए रेल मार्ग से जाने के लिए विवश वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री भी इस वर्षा के लिए भगवन का आभार मान रहे हैं किन्तु कम ही लोगों को ज्ञात है कि भगवान ने देना-पावना बराबर कर लिया है. समकालिक साहित्य में सनातन मूल्यों की श्रेष्ठ प्रतिनिधि डॉ. चित्रा चतुर्वेदी 'कार्तिका