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Showing posts from September 15, 2009

लो क सं घ र्ष !: मसीहाई प्रचारक के रूप में मुद्राराक्षस

अपने समकालीन रचनाकारों में मुद्राराक्षस प्रारम्भ से ही चर्चित रहे हैं। कभी अपनी विशिष्ट आदतों के कारण, कभी अपनी हरकतों के कारण तो कभी अपने विवादास्पद लेखन के कारण। अब से एक दशक पूर्व रचना प्रकाशन की दृष्टि से मुद्राराक्षस अपने समकालिक रचनाकारों से भले ही पीछे रहे हों, किन्तु आज की तारीख में वे अपने समकालिक ही नहीं बल्कि वर्तमान हिन्दी साहित्य के लेखकों के बीच रचना प्रकाशन की दृष्टि से और अपने बहुआयामी लेखन के जरिये राष्ट्रीय ही नहीं वरन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खासे महत्वपूर्ण हैं, जबकि इधर के दशकों में उनका कोई उपन्यास नहीं प्रकाशित हुआ है। वे अपनी कहानियों, आलोचना का समाजशास्त्र, कालातीत संस्मरण तथा धर्मग्रन्थों का पुनर्पाठ के जरिये लगातार चर्चा में हैं। सच पूछो तो वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य पर न तो उनके कद का कोई रचनाकार ठहरता है और न उनका कद्दावर ही। यदि हमें दो चार रचनाकारों के नाम लेने ही हों यथा नामवर सिंह तो वे केवल हिन्दी आलोचना क्षेत्र की प्रतिभा हैं, श्री लाल शुक्ल केवल कथा लेखन के क्षेत्र के हैं, इसी तरह रवीन्द्र कालिया और ज्ञान रंजन आदि एक सीमित विधा के महारथी हैं। जबकि मुद

बस का कहर /मोटर साइकिल के हादसों का शहर

हिन्दुस्तान का दर्द की नियमित पाठिका रचना दीक्षित जी का 'हिन्दुस्तान का दर्द' के लिए यह पहला लेख है आशा है आपको पसंद आएगा,उनका यह लेख यातायात व्यवस्था पर है..आप उनके इस लेख पर अपनी राय जरुर रखें... बस का कहर नाम से रोज़ ही खबर छपती है.हर रोज़ न जानें कितनी ही जानें जाती हैं. पर क्या कभी हमने ये सोचने की कोशिश की है की इसकी असली वजह क्या है? ये हादसे क्यों होते हैं ? इसका असली जिम्मेदार कौन? मैं यहाँ किसी का पक्ष नहीं ले रही हूँ.बस अपने विचार रख रही हूँ . सड़क हादसों में मरने वालों में ९५-९८ % तो हमारे रणबाँकुरे हैं.जो सर पर हेलमेट रूपी कफ़न बांधे रोज़ मोटर साईकिल पर निकल पड़ते हैं.( मोटर साईकिल चलाने वाले माफ़ करें) इतनी बड़ी तादात मैं ये हादसे यही संकेत देते हैं कि बस चालक के साथ-साथ ये भी जिम्मेदार हैं.मेरा ये मानना है कि मोटर साईकिल वाले खुद इन हादसों के सीधे जिम्मेदार हैं.मुझे ये कहते हुए जरा भी अतिशयोक्ति नहीं लग रही है कि ये बसों का कहर जनता पर है या मोटर साइकल सवारों का बसों और जनता पर ? मैंने बचपन