आँखों का इशारा करके जब॥
इंसान समाता है उसमे॥
मिल जाते दोने एक लय में॥
हर्षित होता प्यारा मन॥
फिर रूप निखारने लगता है॥
कलियाँ फूल बन जाती है॥
अपने प्यारे उपवन में फिर॥
खिशिया मंगल गाती है॥
इंसान समाता है उसमे॥
मिल जाते दोने एक लय में॥
हर्षित होता प्यारा मन॥
फिर रूप निखारने लगता है॥
कलियाँ फूल बन जाती है॥
अपने प्यारे उपवन में फिर॥
खिशिया मंगल गाती है॥
अच्छा लिखा है ....
ReplyDeletebahut achi rachna... likhte rahiya
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