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मेरी छठी पुस्तक तीन वर्ष की प्रतीक्षा के बाद

मेरी छठी पुस्तक तीन वर्ष की प्रतीक्षा के बाद 

प्रकाशक महोदय ने हिन्दी निबन्ध की पुस्तक 

"आधुनिक सन्दर्भ में" २५ जून २०१४ को मुझे 

प्राप्त करा दी. 

प्रकाशक महोदय- 

अतुल गुप्ता, 

जाह्नवी प्रकाशन,  

ए-७१, विवेक विहार, फ़ेस-२, 

दिल्ली- ११००९५  

को 

बहुत-बहुत धन्यवाद.

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा