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वीर जवानों को नमन

कपकपाती ठण्ड में
जो कभी ठहरा नहीं
चिलचिलाती धूप में
जो कभी थमा नहीं

गोलियों की बौछार में
जो कभी डरा नहीं
बारूदी धमाकों से
जो कभी दहला नहीं

अनगिनत लाशों में
जो कभी सहमा नहीं
फर्ज के सामने
जो कभी डिगा नहीं

आंसुओं के सैलाब से
जो कभी पिघला नहीं
देश के आन ,मान ,शान में
मिटने से जो कभी पीछे हटा नहीं

ऐसे वीर जवानों को
शत -शत नमन ।।

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा