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नेता जी...

पांच साल के बाद दर्शन दिए है नेता जी॥
पूछो क्या क्या काम क्षेत्र में किये है नेता जी॥
बिजली पानी की बहुत किल्लत॥
दूर बहुत स्कूल,,
कच्ची सड़क पे धुल उड़त है॥
कैसे मिले सुकून,,
जनता कय हिस्सा खाय गए...
घपला किये है नेता जी...
गाँव मा केतनी मैयत होय गय॥
केतना भावा उत्पात॥
आवारा लरिका केतना तहरत है...
के पूछे उनके हाल...
नन्कौवा के नौकरी के खातिर॥
रिश्वत लिए है नेता जी...

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा