सच कहने से पता नहीं क्यों॥
उछल कूद मच जाती है॥
शांत मौन हो बैठ जाते है...
बुराई हमें रुलाती है॥
हैरत अंगेज करिश्मे होते॥
ताली सभी बजाते है॥
बेईमानो के साथ खड़े हो॥
हाथ सभी उठाते है॥
बुरे लोगो के साथ हमेशा॥
परछाई भी मुस्काती है॥
उछल कूद मच जाती है॥
शांत मौन हो बैठ जाते है...
बुराई हमें रुलाती है॥
हैरत अंगेज करिश्मे होते॥
ताली सभी बजाते है॥
बेईमानो के साथ खड़े हो॥
हाथ सभी उठाते है॥
बुरे लोगो के साथ हमेशा॥
परछाई भी मुस्काती है॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर