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मेरी कविताओं का संग्रह: कई अरसो तक लड़ते रहे हम

मेरी कविताओं का संग्रह: कई अरसो तक लड़ते रहे हम: कई अरसो तक लड़ते रहे हम
आज़ादी को पाने के लिए…;
और कई अरसे गुज़र चुके
यूंही आज़ादी को पाए हुए…!शहीदों ने तो कर दिया अपना कर्म
अंग्रेजों ...

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा