Skip to main content

जनता अबतो ऊब चुकी है आवाज़ पड़ी जब कानो में॥

भ्रष्टा चार की तूती बोले भारत के सारे ठिकानों पे॥ जनता अबतो ऊब चुकी है आवाज़ पड़ी जब कानो में॥ दें लें कर काम है चलता भ्रष्ट हुआ है शाशन॥ अब मिलावट जम के होती जहर बना है राशन॥ सरकार कब चुप्पी तोड़ेगी महगाई है आसमानों में॥ अब आन्दोलन शुरू हुआ है कुछ तो हल अब निकलेगा॥ या तो भाग्य बदल जाएगा या महाकाल ही जकदेगा॥ तकदीर बदल के अब छोड़ेगे रहेगा न नाम बवालों में...

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा