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देखती आँखे...

jaisaa ki आज के दैनिक जागरण में मैंने पढ़ा की आसाम से गांजा ला रहे दो लोगो को पुलिस ने पकड़ा...
ये बात तो ठीक है पुलिस ने पकड़ा लेकिन ऐसी बात बहुत बार पढ़ने को मिलता की कोई आये दिन कोई न कोई मादक पदार्ध लिए पकड़ा ही जाता रहता है... लेकिन पुलिस तह तक क्यों नहीं जाती जहा जहा पर गंजा वगैरा बेचा जाता जो लोग बेचते है उन्हें क्यों बंद करती क्यों तह तक नहीं जाती पुलिस... हर एक एरिया में हर एक गाँव के अगल बगल देशी दारू गांजा वगैरा वगैरा गांवो में घर पीछे असह्लाहा मिल सकता है लेकिन क्या सरकार इन पर ध्यान दे तो सरकार बहुत कुछ्ह हासिल कर सकती है....

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा