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सरकार अपने दायित्व का प्रयोग नहीं कर पा रही है...

जिस प्रकार से हमारे देश में बेईमानी ,महगाई,,भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है ॥ सरकार परेशान है ,विरोधी खूब तीर चला रहे है... प्रधान मंत्री जी भी सोच में पद गए है... लेकिन जब ऐसी स्थिति आये जिसमे देश और देश वाशी को कोई कठिनाई झेलना पड़े उस समय अपनी सत्ता के कार्यो का विश्लेषण करना चाहिए और कमियों को दूर कर देना चाहिए चाहे कितना कठोर होना पड़े पर निर्दयी नहीं... हमारी सरकार को इन बातो पर विचार करना चाहिए...
अगर आप देल्ली के किसी भी रेहड़ी वाले के पास चले जाइए और पूछिए भाई हमें भी यही कही दूकान लगाना है पुलिस वाले को और कमिटी वाले को किताना देना पडेगा तो वह बताएगा की मै कितना देता हूँ...
होटलों ,दुकानों,दफ्तरों में कम उम्र के बच्चे काम करते नज़र आते है...
सड़को पर हमारे देश की दस साल की लड़किया भीख मागती मिलाती है...
हर एक एरिया में देशी दारू गांजा चरस का मिलना...
सरकार sab जानती है लेकिन अपने दायित्व का प्रयोग नहीं कर रही है.... सरकार अपने दायित्व का प्रयोग नहीं कर पा रही है...

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा