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rajneeti ki pyas

 

पी.एम्. बनने की मुझे रहती थी बड़ी आस ,
पर जनता ने कर दिया सारा सत्यानाश ,
साथी सब ये कह रहे 'ले लो अब सन्यास '
पर मेरी बुझती   नहीं राजनीति की प्यास .
                    शिखा कौशिक http://netajikyakahtehain.blogspot.com/
                            

Comments

  1. बहुत सार्थक प्रस्तुति .विचारणीय पोस्ट आभार ...

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा