Skip to main content

केसे अजूबे जुबे

कुछ अजूबे ऐसे भी ..
दोस्तोंयह मेराभारत महान हेयहाँ कुछ अजूबेइस अजायब घर में ऐसे भी हेंजिन्हें देख करलोग हंसते हेंजिनकी कार्यशेली और दिनचर्या कोलोगमुर्ख की कार्यशेली कहते हेंहाँ दोस्तों में सही कहता हूँआज जो लोगअपना काम वक्त परकरते हेंजो सरकारी कर्मचारीवक्त पर दफ्तर जाते हेंवक्त पर पत्रावलियों में काम करते हेंजो लोग रिश्वत नहीं लेतेजो लोग बिना किसी सिफारिश केसभी का काम कर देते हेंजो लोग देश के लियें जीते हेंजो लोग देश के कानून का सम्मान करते हेंजो लोग एकता अखंडता की बात करते हेंजो लोग साम्प्रदायिक सद्भावभाईचारे की बात करते हेंहाँ दोस्तों बस यही लोगइन दिनोंदेश के करोड़ों करोड़ लोगों कोअजूबे सेमुर्ख और पागल से लगते हेंक्या हम मुर्ख हेया हम लोगों की तरहऐसे लोगों को मुर्ख कहने वालों की टीम में शामिल हेजरा सोचें चिन्तन करेंऔर हो सके तोमेरी तरह अजूबा मेरी तरह मुर्ख बनने की कोशिश करें ।अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा