Skip to main content

प्यारा सा संवाद



हर दम तो साथ - साथ रहता है !
जेसे हमसे  ही वो कुच्छ कहता है !
माँ भी तो हर दम जान जाती है !
इशारों - इशारों मै सब कुछ  बताती है !



जब वो थोडा और बड़ा होता है !
घुटनों के बल इधर - उधर डोलता है !
माँ का दम ही निकल जाता है ,
जब वो थोडा सा भी रोता है !






जब वो स्कूल को निकलता है !
माँ के पल्लू  से हरदम लिपटता है !
लगता है जेसे माँ से बिछड़ने का ........
हरदम उसे खोफ सा ही रहता है !





जब जवानी मै पांव वो रखता है !
यारों दोस्तों से जब वो मिलता है !
तब माँ के उस एहसास को............... 
थोडा - थोडा सा अब वो खोने  लगता है !





अब माँ का आशीर्वाद फिर वो पाता है !
घर मै प्यारी दुल्हन ले के आता है !
उसके साथ रंग - बिरंगे सपने देख कर 
फिर वो एक नया संसार बसाता  है !

Comments

  1. bahut sundar sachitra kavita.kali ke phool banne ko bahut hi khoob soorati se varnan kiya hai aapne badhai....

    ReplyDelete
  2. यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
    कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.

    ReplyDelete
  3. शालिनी जी व् संजय जी का बहुत - बहुत शुक्रिया !

    ReplyDelete
  4. लाजवाब पोस्ट, पढकर अच्छा लगा।
    धन्यवाद।

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा