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आओ मेरे आगंतुक हम स्वागत को तैयार॥है...हम भी तो तेरे यार है..हम भी...

नैके सलवा मा नशा हम छोड़ देबय॥
बिन फ़ोकट बिमारी नहीं लेबय॥
गाल मुह सूख गैले,, होय गहे बुढ़वा ॥
हमका घेर्रावय काल वाला पड़वा॥
दारू गांजा से दूर रहवे ..नैके सलवा मा नशा हम छोड़ देबय॥
सब कुछ देख लीं मज़ा नहीं येहमा॥
बहुत बुरायी होत फंस गए गेह मा॥
सब का शिक्षा ईहे हम देबय॥
नैके सलवा मा नशा हम छोड़ देबय॥


आओ मेरे आगंतुक हम स्वागत को तैयार॥
हम भी तो तेरे यार है हम भी तेरे यार है...

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा