Skip to main content

प्यारी सी दुआ


जिंदगी तो उसने खबसुरत  दी थी ,
जीना हमे आया ही नहीं !
खुशिया तो उसने हजारो दी थी ,
गमो से उभरना  हमे आया ही नहीं !
खुशनुमा पल उसने बेपन्हा दिए थे ,
वक़्त से लम्हे चुराना हमे आया ही नहीं !
प्यार तो उसने हमे बेहद किया था ,
हमे प्यार निभाना आया ही नहीं !
सोचते  तो थे की अब संभल जायेंगे ,
वक़्त ने तो पलटना कभी जाना ही नहीं !
अब तो  फकत फ़रियाद ही ये करते हैं ,
उसके गुलशन मै बाहर भर दे तू !
न इस कदर गुनाह करेंगे  कभी ,
इस बार तो खुदाया  माफ़ कर दे तू !

Comments

  1. दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई

    ReplyDelete
  2. अब तो फकत फ़रियाद ही ये करते हैं ,
    उसके गुलशन मै बाहर भर दे तू !
    न इस कदर गुनाह करेंगे कभी ,
    इस बार तो खुदाया माफ़ कर दे तू !
    बेहद उम्दा। बधाई स्वीकार करें।

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा