सत्ता पर आरूढ़ हुआ है॥
बेईमानी का दाग॥
कैसे किसको चैन मिले॥
करते अपन जुआड़॥
करते अपन जुआड़॥
सच्चाई नहीं दिखाती॥
लालच का यह दौड़ बढ़ा है॥
हिम्मात नहीं लजाती...
बेईमानी का दाग॥
कैसे किसको चैन मिले॥
करते अपन जुआड़॥
करते अपन जुआड़॥
सच्चाई नहीं दिखाती॥
लालच का यह दौड़ बढ़ा है॥
हिम्मात नहीं लजाती...
सही लिखा..
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