गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
बिल्कुल सही बात कही सुख अपने अन्दर ही खोजना चाहिये …………यात्रा अन्दर की ओर हो तो सारे सुख अपने आप मिल जायेंगे और संतोष धन तो है ही सबसे बडा धन्।
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