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हाय केसा हे यह आतंकवाद

पवित्र गंगा किनारे अपवित्र आतंक का खेल

दोस्तों देश में आस्थाओं की गंगा और गंगा के पवित्र किनारे जब श्रद्धालु स्नान कर अपने पाप और पुन्य का हिसाब कर रहे हों और राक्षसों का राक्षसी कृत्य इस सुख शांति को हा हां कार में बदल दे तो सोचो क्या विहंगम और द्र्नाक द्रश्य होगा जी हाँ दोस्तों हमारे देश ने कल रात यह दर्द भोगा हे यहाँ शेतानी ताकतों ने केवल एक घटना का बहाना बनाकर निर्दोष लोगों को एक बार फिर गेर इस्लामिक तरीके से अपना निशाना बनाया हे वोह तो शुक्र हे खुदा का के बढा हादसा होने से बच गया दूध के डिब्बे में रखे बम के विस्फोट से इस गंगा किनारे दो लोंगों की म़ोत और २७ लोगों का घायल होना कोई मामूली बात नहीं हे देश की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर अपनी करतूतें दिखाने वाले बड़ी बेशर्मी से इस अपराध का कुबुल्नमा पेश कर रहें हें छुप कर पर्दे में रहकर धोके से निर्दोष मासूमों की हत्या करना किसी भी धर्म का हिस्सा नहीं हे और जिस इस्लाम धर्म की वोह बात करते हें उसका तो एलान हे के तुम किसी भी निर्दोष का अगर खून बहाते हो तो तुम मुसलमान नहीं हो ऐसे राक्षस जिसका कोई धर्म ईमान नहीं हे उनकी सारा देश मजम्मत करता हे और खुदा से दुआ करता हे के वोह जल्द पकड़े जाएँ और उन्हें हमारा देश देश का कानून जनता के सामने फंसी पर लटकाए साथ ही देश यह भी दुआ करता हे के जो लोग घायल हुए हे वोह जल्द स्वस्थ हों और जिन की दर्दनाक म़ोत हुई हे इश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और परिजनों को इस दुःख की घड़ी से उबरने की शक्ति दे जय भारत जय हिंद ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा