Skip to main content

यु न कहो पत्थर दिल

क्यु इतना प्यार दिखाती हो 
उस पर लुट जाना चाहती हो 
फिर हर बार क्या सोच कर तुम 
उससे खुद को यु बचाती हो 
क्या तेरे दिल मै प्यार नहीं ?
क्या उसके जेसा एहसास नहीं 
फिर बार बार उस तक जाके 
क्यु लोट जाना चाहती हो 
उसके एहसास जगाती हो 
उसके अरमान सजाती हो 
जब वो सपनो मै रंग भरता है 
तो क्यु........  बेरंग उसे कर आती हो 
फिर क्यु उसका अच्छा तुम चाहती हो
 उसके अरमान जगाती हो 
अपने को यु पत्थर  दिल कह फिर 
क्यु  उसका दिल  यु दुखाती हो ?

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा