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भारत-भारती वैभवम्



प्रिय बन्‍धु

आपके संस्‍कृतब्‍लाग संस्‍कृतम्-भारतस्‍य जीवनम् पर अमित जी  ने बडी सुन्‍दर पंक्तियाँ राष्‍ट्र के बारे में प्रस्‍तुत की हैं 

"भारत-भारती-वैभवं

अपने विचार ब्‍यक्‍त करके उत्‍साह वर्धन करें ।

संस्‍कृतलेखनप्रशिक्षणकक्ष्‍या का वर्तमान काल प्रकरण प्रस्‍तुत किया जा चुका है ।
पढें और लाभान्वित हों ।।

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भवदीय: - आनन्‍द:



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भवदीय: - आनन्‍द:

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा