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ब्‍लागजगत के तकनीकि विशेषज्ञों से एक विनम्र निवेदन, कृपया सहायता करें ।।



  ब्‍लाग जगत पर संस्‍कृत भाषा का विकास अभी अपनी प्रारम्भिक अवस्‍था में है ।
इसे और भी  आगे ले जाने के लिये हमारे कुछ विद्वद्जन  पूरे मनोयोग से सहयोग कर रहे हैं तथापि तकनीकिक ज्ञान न होने के कारण अभी हम सक्षम नहीं हो पा रहे हैं इस कार्य को सुचारू रूप से आगे बढाने में ।
हालाँकि श्री अंकुर जी और श्री नवीन जी यदा-कदा सहायता करते रहते हैं , जिसके लिये हम इनके आभारी हैं ,
किन्‍तु इनके पास पर्याप्‍त समय न होने के कारण संस्‍कृतजगत की आवश्‍यकताएँ समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं ।
और संस्‍कृत की कक्ष्‍या भी तकनीकिक न्‍यून ज्ञान के ही कारण सम्‍यक गतिमान नहीं हो पा रही है ।
अत: मैं आनन्‍द आप सब से अनुरोध करता हूँ कि यदि आपमें से कोई भी संस्‍कृतप्रेमी, जो तकनीकि का जानकार हो संस्‍कृत सेवार्थ हमें अपना समय दे सके तो आभारी रहूँगा ।
संस्‍कृत के प्रसार से भारत की जडें मजबूत होंगी और भारत शनै:-शनै: पुन: विश्‍वगुरू का अपना पुराना रूप प्राप्‍त कर लेगा ।
अत: यदि आप संस्‍कृत की सेवा करते हैं तो यह सारे भारत की सेवा होगी ।
मेरा विनम्र निवेदन है तकनीकिजगत के विद्वानों से कि कृपया हमारी सहायता करें ।
आशा है हमारी सहायता के लिये हमारे बंधु आगे अवश्‍य आएँगे ।

हमें pandey.aaanand@gmail.com संपर्क करें ।
आपका आभार

भवदीय: - आनन्‍द:

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा