गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
अच्छी प्रस्तुती .लेकिन इसमें इस सभी कार कंपनियों का भी गंभीर दोष है जो कार को आज सिर्फ रोमांस के साधन के रूप में प्रचारित कर रहें हैं ,सामाजिक जिम्मेवारी और इंसानियत पे व्यवसायिकता भारी है ,एक भी कार कम्पनियाँ अपने कार के विज्ञापन में कार का प्रयोग सावधानी से करें और बहुत जरूरत होने पर ही करें के विषय पर गंभीरता से अपने विज्ञापन में कुछ भी नहीं बताती है | भ्रष्टाचार और आवारा पूंजी से पले बढे बच्चों का लापरवाह व्यवहार भी इन दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है ...
ReplyDeleteइस विडिओ को देख कर अच्छा लगा पर में हमेशा ये सोचती हु की जिन लोगो तक हम ये सुब सन्देश पहुचना चाहते हैं उन सबको क्या ये सब देखने सुनने का समय भी होगा क्या क्युकी यहाँ तो वो सब लोग हैं जो इन बातो को पहले से ही आचरण कर रहे हैं तो हम उन तक किस माध्यम से ये बात पहुंचाए दोस्त
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