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मुक्तिका: किस चरण का अनुकरण --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

किस चरण का अनुकरण

संजीव 'सलिल'
*
किस चरण का अनुकरण जन-जन करे.
हर चरण के आचरण हैं जब बुरे..


गले मिलते मुस्कुराते मीत कह
पीठ पीछे हाथ में थामे छुरे..


हैं बुरे, बनते भले जो आजकल.
हैं भले जो आजकल लगते बुरे..


मायके में गुजर कब किसकी हुई?
खोज प्रियतम को चलो अब सासरे..


सच कहो तो मानते सब गैर हैं.
कहें मनचाही वही हैं खास रे..


बढ़ी है सुविधाएँ, वैभव, कीर्ति, धन.
पर आधार से गुम गया है हास रे..


साँस तेरा साथ चाहे छोड़ दे.
'सलिल' जीते जी न तजना आस रे..


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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

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