Skip to main content

असुविधा के लिए खेद है ,बहुत जल्द नए रूप में मिलते है

हिन्दुस्तान का दर्द को तकनीकी एवं सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से कुछ सुधार किये जा रहे है जिस वजह से नियमित लेखन में कुछ व्यवधान पड़  रहा है जिसके लिए हमें खेद है..
अगर आप  हिन्दुस्तान का दर्द को तकनीकी एवं सुविधाजनक बनाने में हमारी कुछ मदद करना चाहते है तो आपके सुझावों का स्वागत है ,आपके सहयोग और स्नेह की आशा के साथ......

संजय सेन सागर 

असुविधा के लिए खेद है ,बहुत जल्द  नए रूप में मिलते है  

Comments

  1. दर्द की प्रस्‍तुति अपने स्‍वाभाविक रूप में ही हो तो अच्‍छा लगता है.

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा