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जब दिल मेरा टूटा था..

जब दिल का तार टूटा था॥
गम बदली छायी थी॥
बादल कड़क रहे थे॥
आंधी आयी थी॥
यादे बहुत रुलाई थी॥

समय अचेत हुआ था॥
पुरवाई मुरझाई थी॥
साड़ी रश्मे तोड़ दिए थे॥
मै वापस आयी थी॥
यादे बहुत रुलाई॥

मुह मोड़ लिए थे सब ने..
मेरी उडाये थे॥
भाग-भाग कह करके ॥
हमको दौडाए थे॥
मजबूर हुए थी तब मै॥
वह राज़ बतायी थी॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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