Skip to main content

सलाम मुहब्बत...

सलामे मुहब्बत कहते है...
बड़े मौज से रहते है॥
ध्यान लगा के पढ़ते है॥
बुरे कर्म से डरते है...

लड़की बाज़ी से दूर है रहते॥
गम की छाया नज़दीक न आती॥
न आती है किसी की याद ॥
न बीती बाते हमें रुलाती॥
दिखती उसकी सूरत तब॥
छुप के हम हम निकलते है॥
सलामे मुहब्बत कहते है...
बड़े मौज से रहते है॥

न तो किसी का चेहरा ,,आँखों पर मुस्काता है...
न तो किसी को दिल दिया ,,न प्रलयकाल रिसियाता है...
अपने ही आन मान पे , अपने आप उछलते है॥
सलामे मुहब्बत कहते है...
बड़े मौज से रहते है॥


कभी कभी सुन्दरियों की टोली..मुझपे ताना कसती है॥
पता नहीं क्या कह जाती है..बादल जैसे बरसती है॥
मेरे लबो के फूल तो कभी कभी फिसलते है॥
सलामे मुहब्बत कहते है...
बड़े मौज से रहते है॥

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा