Skip to main content

हम पहले के टॉपर है.. फिर से बाज़ी मारेगे..


हम जान लगा देगे॥

पर हिम्मत नाही हारे गे॥

हम पहले के टॉपर है॥

फिर से बाज़ी मारेगे॥


समय समय पर करू पढाई॥

समय का रखता ध्यान॥

यही समय है कुछ बनाने॥

साहब नेता नबाब॥

चढ़ जायेगे शिखा के ऊपर॥

नयी नयी बात निकाले गे॥

हम पहले के टॉपर है॥
फिर से बाज़ी मारेगे॥


अपने माँ के अरमानो का॥

हमें बहुत है ख्याल॥

अगर पैर पीछे हटाता है॥

होगा उन्हें मलाल॥

भारत माँ की धरती पर॥

नयी उपज उपारेगे॥

हम पहले के टॉपर है॥
फिर से बाज़ी मारेगे॥


तब सफलता कदम चूमेगी॥

खुशिया का मौसम आयेगा॥

बन जायेगे महा पुरुष हम॥

कभी समय बतलायेगा॥

अपनी विद्दया के झंडे को॥

एक दिन हम भी गाड़ेगे॥

हम पहले के टॉपर है॥
फिर से बाज़ी मारेगे॥

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा