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महा काल पगलायेगा..

जब चोर सिपाही संग संग घूमे॥
नेता वेश्या संग नाचे॥
महा दरिद्र रोटी को तरसे॥
पंडित जी मदिरालय ताके॥
तब देश की आन मान पर ख़तरा॥
धीरे धीरे मंडराए गा॥
baap beti masti me लोटे॥
ससुर पतोह संग पत्ता खेले॥
भाई बहिन संग रास रचाए॥
भतीज चाची के आँख चटोले॥
तब जवान लैरका मरिहै रास्ता म॥
tab महा काल पगलायेगा॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा