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भ्रष्ट मण्डली ..

यह भ्रष्टाचारी की भ्रष्ट मंडली॥
इनकी अक्ल बौडाई है॥
चारो तंगी का आलम॥
इनके कारण ही महगाई है॥

खुल्लम खुल्ला घूंस लेते॥
तनिकव नहीं लजाते है॥
अगर तनिक मुह खुल जाता तो॥
बाजा जस बजाते है॥
इनके लिए तो अच्छा मौसम॥
इनके लिए ठिठाई है॥

पूजे जाते भ्रष्ट घरो में॥
अफसर या चपरासी हो॥
कही सच्चाई नहीं बसी अब॥
काबा हो या काशी हो॥
मेरी कलम गलत नहीं लिखती॥
सोचो कितनी गहराई है॥
ज्यादा दिन अब नहीं है चलना॥
कुछ पल में तेरी बिदाई॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा