Skip to main content

तुम्हे मिलने को दिल ढूढ़ रहा.

क्या दूर गए हमें भूल गए॥
कुम्हलात कमल यूं रो रहा॥
मै धीरज न रख पाऊगी॥
तुम्हे मिलने को ढूढ़ रहा॥
मै धुप जलाना भूल गयी।
फूलो से कलियाँ रूठी है॥
तरुवर से पत्ते टूट चुके है॥
क्या जानो क्यों भूखी है॥
कानो की तरंग शांत खड़ी है॥
तेरा दिल क्यों मजबूर रहा॥
मै धीरज न रख पाऊगी॥
तुम्हे मिलने को ढूढ़ रहा॥

जब सोने जाती तुम आ जाते॥
हंस हंस के बात बताते हो॥
नींद खुले नहीं रहते तुम॥
क्यों वापस तुम चले जाते हो॥
मै मिल जाऊ उस सागर में॥
जिस सागर में दिल डूब रहा॥
मै धीरज न रख पाऊगी॥
तुम्हे मिलने को ढूढ़ रहा॥

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा