Skip to main content

रूप बड़ा मस्ताना है॥


कितनी सुन्दर लगती हो॥

रूप बड़ा मस्ताना है॥

कितने भवरे मंडराते है॥

कितनो का दिल दीवाना है...

मानो मणियो संग मोती गिरते॥

रह रह के जब हंसती हो॥


मन दरिया बन जाता है॥

आँखे आश लगाती है॥

होठ ज़रा मुस्काने दो॥

अपनी बात बताती है,,,

झुक जाती है लता सखाये॥

रुक रुक के जब चलती हो॥


कान आनंदित हो जाते है॥

जब मधुर स्वरों में गाती हो॥

बादल भी हंसने लगते है॥

जब मुझसे प्रीति लगाती हो॥

तब हवा मगन हो मंगल गाती॥

अंकुर पर ओश जब गिरती है॥

सुख संपत्ति सब हंसने लगते॥

जब हमसे नैन मिलाती हो॥

मन की बात बताने में॥

कभी कभी सकुचाती हो...


Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा