
आफ सेंचुरी पूरी कर गया॥
कभी नहीं कुछ खोया था॥
महगाई की मार पड़ी तो॥
यार बहुत मै रोया था॥
प्यारा पोता हाथ कर बैठा॥
बाबा काजू खाना है॥
आज हमें सारंगी लाओ॥
आज ही हमें बजाना है॥
सारा खाता छान डाला॥
पेटी संदूक टटोला था॥
मेरी हालत देख के पोता॥
मन में बहुत मसोसा॥
क्यों इतनी महगाई आयी॥
टूटे शब्द में बोला॥
सुख सुविधा से दूर रहोगे॥
मै रो के पोते से बोला था॥
शम्भू नाथ
बढ़िया ! महंगे की मार से तो सभी बेहाल हैं ...
ReplyDeleteaap sahi kah rahe hai, sir g
ReplyDeleteएक दम आज का सच लिखा है जी.
ReplyDeleteमहंगाई को चाहे कुछ भी कहो डायन या चुड़ैल चाहे कितना भी आंसू बहा ले, कुछ बदलने वाला नहीं है
ReplyDeletethankyou anamika ji and pashyanti ji,,,
ReplyDeleteभाईयो एक दीन गेहू को 10000 रू घी को 30000 हजार तेल को 15000 हजार शकर 3000 रू प्रति किलो ओर पेट्रोल सब्जी तो हम लोगो को नासीब भी नही हो गी चोर बइमानो को भष्टाचारीयो को मारो देश बाचालो
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