Skip to main content

अनुभव तुम्हे बताऊगा॥


ये डगर पुरानी मै कल का राही॥

भूल भटक to जाऊगा

बाद में मुझसे पूछ लेना॥

अनुभव तुम्हे बताऊगा॥

दूर है मंजिल कठिन घडी है॥

फिर भी दर तक जाऊगा॥

वापस आऊ तो पूछ लेना॥

अनुभव तुम्हे बताऊगा॥

बहुत पड़ेगे कंकण पत्थर॥

राहो से उसे हटाऊगा॥

वापस आऊ तो पूछ लेना॥
अनुभव तुम्हे बताऊगा॥

पता नहीं उस कठिन जगह से ॥

यहाँ पे फिर आ पाऊगा ॥

वापस आऊ तो पूछ लेना॥
अनुभव तुम्हे बताऊगा॥

जो खड़े है दुश्मन पग पग पर॥

उनको मार गिराऊगा॥

वापस आऊ तो पूछ लेना॥
अनुभव तुम्हे बताऊगा॥


Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा