Skip to main content

मै प्यारा सावन हूँ...


मै सपनों का अनोखा सावन हूँ॥

जो झमक झमक के बरस रहा हूँ॥

मै भी प्यासा उस पल का॥

जिस पल के कारण ठमक रहा हूँ॥

जब मै आटा प्यास बुझाता॥

वीय वियोग दोनों को मिलाता॥

हरी भरी बगिया के अन्दर ॥

मोर नाचता बीन बजाता ॥

मै उसके आँगन के अन्दर॥

सुन्दर बनके उछल रहा हूँ॥


कोयल गीत सुनाती रहती॥

चातक चकोर को बुलाता॥

इन फूलो की सुन्दर कलियों पर॥

चंचंल भ्रमर घूमने आता॥

सदा कदा नभ मंडल में मै॥

लाठी ले के मटक रहा हूँ॥


खिल जाते है वन उपवन सब॥

जीव जंतु सब आगे बढ़ जाते॥

खिला गुलाब किसानन के घर॥

उनके दुःख दारुण कट जाते॥

उस सुन्दर बेला में मै भी॥

धीरे धीरे बिदक रहा हूँ/॥


मै सावन हूँ॥


शम्भू नाथ

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा