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गम की कहानी..

हेरत अपनी प्रिया का॥
बिलकुल बना फकीर॥
का किस्मत तू दागा करू॥
ई कैसी बनी लकीर॥
प्रेम ब्याह मै कर लिया ॥
कौन किया अन्याय॥
माँ बाप क्यों इतने गिर गए॥
सीने पर करते घाव॥
चार दिना से गायब है॥
मेरी प्यारी मुस्कान॥
टूट गयी रस्सी हमारी॥
मै तो गिरा उतान॥
पुलिस न बोले ढंग से॥
ज्यादा कराय बकवास॥
kahay ki ज्यादा bolegaa॥
karwaa doogaa upvaas॥
क्यों खुशिया मुझसे हरे॥
मै तरस गया बिन मीन॥
कौन गली ढूढे उसे॥
कहा बजावू बिन॥
मै यही सोचा था॥
हम होयेगे कामयाब॥
सब का कुशल पूछेगे॥
सब करेगे आदाव॥
वह पारी अब कहा है॥
जो मुझसे मुस्काती थी॥
आँख झुका के प्यार जता के॥
उसकी हंसी निकल जाती थी॥
या तो मुसको वह मिले ॥
या गला कटु शमसीर॥
midiyaa waalo से mil कर॥
करेगे vaartaa laap॥
साथ मीडिया जब देगा॥
भरेगे हम आलाप॥
पर्दा फास्ट करेगे॥
उनसे नहीं डरे॥
जिन्हों ने मेरी जान को मारा॥
सजा की दुआ करेगे॥

Comments

  1. आज की ताज़ा खबरों पर खूब कलम चलाई ।आनर किलिन्? आह शर्मनाक।

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा