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तोता मैना..

तोता से बोली मैना, एक बात पूछती हूँ॥
सच सच जबाब देना जो बात पूछती हूँ॥
भारत की महगाई तो आसमान छू रही है॥
प्यारे गरीब जनता को हानि हो रही है॥
तोता बेचारा बोला खोदो न जख्मे घाव को॥
वेदना हमारी अब प्रबल हो रही है॥
मैना जब पीछे पद गयी तोते ने हार मानी॥
सुनाने लगा मैना को अचरज भरी कहानी॥
भ्रष्टा चार का अत्याचार बढ़ गया चारो ओउर॥
भूखे प्यासे लोग है चोरी करत किशोर॥
चोरी करत किशोर कितने ज़िंदा मारे जाते॥
कितने इन्साफ के खाती गली गली चिल्लाते॥
जब तक अंत न होगा भ्रष्टाचार की लय॥
तब तक भारत में भीषण होगी प्रलय॥
तभी प्रभू आयेगे भारत को बचायेगे॥
मेरी प्रिये बातो को कही तुम न बिसार दोगे॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा