Skip to main content

चिड़िया दीदी..




चिड़िया दीदी चू चू करके॥


पास हमारे आती है॥


होत भिनौखा पास बैठ कर॥


मुझको रोज़ जगाती है॥


उठ जाता हूँ बोली सुन कर॥


मुझको प्यारी लगती है॥


बड़े लोग जब पास बुलाते ॥


उनसे दूर फुदकती है॥


कभी कभी वह मुह बिचका के॥


मुझको बहुत चिढाती है॥


प्रतिदिन मेरे आँगन में॥


दाना चुगने आती है॥


जब मै रूठ के रोने लगता॥


मुझको चुप कराती है॥


मै जब हंसता फुदक फुदक के॥


मुझसे खूब बतलाती है॥


Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा